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मैंने विनय सहित कह दिया कि रुपये-पैसे की तरफ मेरी आसक्ति तो है, फिर भी, चौबीसों घण्टे उन पर बैठा रहूँ, यह विवेचना मुझे प्रीतिकर नहीं मालूम होती और इसके लिए ...